*बहराइच में भी बांग देगा मध्यप्रदेश का कड़कनाथ, लाख मर्ज की एक दवा है ये मुर्गा*
*बहराइच*
मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी क्षेत्रों के लोगों की आमदनी का मुख्य जरिया बना कड़कनाथ मुर्गा अब भारत नेपाल बार्डर के जिले बहराइच में भी बांग देने का काम करेगा।जानकारी के मुताबिक कड़कनाथ चिकन जहां औषधीय गुणों से लबरेज है, वहीं बांझपन, हार्ट, डायबिटीज, जैसी तमाम घातक बीमारियों के लिए कड़कनाथ मुर्गे का चिकन काफी फायदेमंद है। आपको बता दें कि कड़कनाथ की कीमत ₹1000 से ₹1500 रुपये तक है। वहीं कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गी के एक अंडे की कीमत तकरीबन ₹ 70-से 80 रुपये की दर से बिकता है। तराई के क्षेत्रों में निरन्तर बढ़ती चिकन की मांग व फार्मी मुर्गों से भी कई गुना दुगना लाभ को देखते हुए बहराइच के पशुपालन विभाग ने पहल करते हुए कड़कनाथ मुर्गे के पालन की शुरूआत पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर जरवल ब्लाक से शुरू करायी है।
फार्मी ब्वायलर मुर्गे की अपेक्षा कड़कनाथ चिकन अन्य सामान्य चिकेन की तुलना में तीन से पांच गुना ज्यादा दाम पर बेचा जाता है। पोल्ट्री पालकों की मोटी आमदनी व चिकेन के शौकीनों की बढ़ती मांग को देखते हुए बहराइच के पशुपालन महकमें ने जरवल क्षेत्र में स्थित एक पोल्ट्री फार्म से इसकी शुरूआत की है। देवीपाटन मंडल में सबसे पहले कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म की शुरुआत जरवल नगर के गुलाम मुहम्मद के पोल्ट्रीफार्म से शुरू करायी है। पोल्ट्री फार्म मालिक ने बताया कि वो काफी अर्से से सामान्य मुर्गों का पोल्ट्री फार्म चला रहे हैं। जब उन्हें कड़कनाथ मुर्गे की खासियत पता चली तो वे खुद मध्यप्रदेश से कड़कनाथ प्रजाति के 50 मुर्गे व 300 चूजों को लाकर जरवल में पोल्ट्री फार्म की शुरूआत की है।
*कड़कनाथ की ये है खाशियत*
अन्य मुर्गों की अपेक्षा कड़कनाथ मुर्गे के चिकेन में विटामिन, कैल्शियम, आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही एनीमिया को खत्म कर शरीर में हीमोग्लोबिन की क्षमता को भी बड़ी तेजी से बढ़ाता है।
बार्डर के जिले बहराइच में अंडे का सेवन लोग बड़े पैमाने पर करते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां प्रति दिन तकरीबन पौने तीन लाख अंडे के साथ ही 50 क्विंटल से ज्यादा चिकेन की खपत हो रही है, जबकि जिले में महज एक लाख अंडे का उत्पादन व खपत का पचास फीसदी मीट की उपलब्धता हो रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बहराइच सीवीअो बलवंत सिंह ने बताया कि यह आमदनी का एक बेहतर विकल्प साबित होगा। वातावरण व आमदनी को देखते हुए कड़कनाथ मुर्गा के पालन की शुरुआत की गई है।
*इसका चिकन शक्तिवर्धक*
स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को कालीमासी भी कहते हैं. क्योंकि इसका मांस, चोंच, जुबान, टांगे, चमड़ी आदि सब कुछ काला होता है। यह प्रोटीनयुक्त होता है और इसमें वसा नाममात्र रहता है. कहते हैं कि दिल और डायबिटीज के रोगियों के लिए कड़कनाथ बेहतरीन दवा है। इसके अलावा कड़कनाथ को सेक्स वर्धक भी माना जाता है. इसके अलावा इसमें विटामिन बी1स बी2, बी6 और बी12 भरपूर मात्रा में मिलता है। इतना ही नहीं इसका मांस खाने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के तीन रूप हैं. पहला जेड ब्लैक, इसके पंख पूरी तरह काले होते हैं। पेंसिल्ड, इस मुर्गे का आकार पेंसिल की तरह होता है। पेंसिड शेड मुर्गे के पंख पर नजर आते हैं। जबकि तीसरा आखिरी प्रजाति गोल्डन कड़कनाथ की होती है। इस मुर्गे के पंख पर गोल्ड छींटे दिखाई देती हैं।
*बहराइच*
मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी क्षेत्रों के लोगों की आमदनी का मुख्य जरिया बना कड़कनाथ मुर्गा अब भारत नेपाल बार्डर के जिले बहराइच में भी बांग देने का काम करेगा।जानकारी के मुताबिक कड़कनाथ चिकन जहां औषधीय गुणों से लबरेज है, वहीं बांझपन, हार्ट, डायबिटीज, जैसी तमाम घातक बीमारियों के लिए कड़कनाथ मुर्गे का चिकन काफी फायदेमंद है। आपको बता दें कि कड़कनाथ की कीमत ₹1000 से ₹1500 रुपये तक है। वहीं कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गी के एक अंडे की कीमत तकरीबन ₹ 70-से 80 रुपये की दर से बिकता है। तराई के क्षेत्रों में निरन्तर बढ़ती चिकन की मांग व फार्मी मुर्गों से भी कई गुना दुगना लाभ को देखते हुए बहराइच के पशुपालन विभाग ने पहल करते हुए कड़कनाथ मुर्गे के पालन की शुरूआत पाइलट प्रोजेक्ट के तौर पर जरवल ब्लाक से शुरू करायी है।
फार्मी ब्वायलर मुर्गे की अपेक्षा कड़कनाथ चिकन अन्य सामान्य चिकेन की तुलना में तीन से पांच गुना ज्यादा दाम पर बेचा जाता है। पोल्ट्री पालकों की मोटी आमदनी व चिकेन के शौकीनों की बढ़ती मांग को देखते हुए बहराइच के पशुपालन महकमें ने जरवल क्षेत्र में स्थित एक पोल्ट्री फार्म से इसकी शुरूआत की है। देवीपाटन मंडल में सबसे पहले कड़कनाथ पोल्ट्री फार्म की शुरुआत जरवल नगर के गुलाम मुहम्मद के पोल्ट्रीफार्म से शुरू करायी है। पोल्ट्री फार्म मालिक ने बताया कि वो काफी अर्से से सामान्य मुर्गों का पोल्ट्री फार्म चला रहे हैं। जब उन्हें कड़कनाथ मुर्गे की खासियत पता चली तो वे खुद मध्यप्रदेश से कड़कनाथ प्रजाति के 50 मुर्गे व 300 चूजों को लाकर जरवल में पोल्ट्री फार्म की शुरूआत की है।
*कड़कनाथ की ये है खाशियत*
अन्य मुर्गों की अपेक्षा कड़कनाथ मुर्गे के चिकेन में विटामिन, कैल्शियम, आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही एनीमिया को खत्म कर शरीर में हीमोग्लोबिन की क्षमता को भी बड़ी तेजी से बढ़ाता है।
बार्डर के जिले बहराइच में अंडे का सेवन लोग बड़े पैमाने पर करते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां प्रति दिन तकरीबन पौने तीन लाख अंडे के साथ ही 50 क्विंटल से ज्यादा चिकेन की खपत हो रही है, जबकि जिले में महज एक लाख अंडे का उत्पादन व खपत का पचास फीसदी मीट की उपलब्धता हो रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बहराइच सीवीअो बलवंत सिंह ने बताया कि यह आमदनी का एक बेहतर विकल्प साबित होगा। वातावरण व आमदनी को देखते हुए कड़कनाथ मुर्गा के पालन की शुरुआत की गई है।
*इसका चिकन शक्तिवर्धक*
स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को कालीमासी भी कहते हैं. क्योंकि इसका मांस, चोंच, जुबान, टांगे, चमड़ी आदि सब कुछ काला होता है। यह प्रोटीनयुक्त होता है और इसमें वसा नाममात्र रहता है. कहते हैं कि दिल और डायबिटीज के रोगियों के लिए कड़कनाथ बेहतरीन दवा है। इसके अलावा कड़कनाथ को सेक्स वर्धक भी माना जाता है. इसके अलावा इसमें विटामिन बी1स बी2, बी6 और बी12 भरपूर मात्रा में मिलता है। इतना ही नहीं इसका मांस खाने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के तीन रूप हैं. पहला जेड ब्लैक, इसके पंख पूरी तरह काले होते हैं। पेंसिल्ड, इस मुर्गे का आकार पेंसिल की तरह होता है। पेंसिड शेड मुर्गे के पंख पर नजर आते हैं। जबकि तीसरा आखिरी प्रजाति गोल्डन कड़कनाथ की होती है। इस मुर्गे के पंख पर गोल्ड छींटे दिखाई देती हैं।