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मैं मोहम्मद हसीब (असलम पठान ) पत्रकार हूँ, आज सुबह शहर के दौरे पर था जब इस नन्हे से मासूम पर नज़र पड़ी, पसीने में लतपथ, तेज़ धूप में आंखों में डर लिये,

बहराइच








मैं मोहम्मद हसीब (असलम पठान ) पत्रकार हूँ, आज सुबह शहर के दौरे पर था जब इस नन्हे से मासूम पर नज़र पड़ी, पसीने में लतपथ, तेज़ धूप में आंखों में डर लिये, 


इसकी धीमी सहमी बाबू जी की आवाज़ ने मानो दिल को जनझोर कर रख दिया, मुँह पर मास्क, हाथ में लकड़ी का बोझ उसमे लटकते मास्क, स्कूल की शर्ट और नेकर, पैर में मामूली सी चप्पल पहने सड़को पर मास्क बेच रहा था. सोचा लिखा जाए पर क्या लिखूं इसपर, इस बच्चे की लाचारी पर लिखू या इस उम्र में इसके हौसले पर लिखू, नाम अर्जुन बहराइच की सड़को पर क्रोना महामारी और लॉक डाउन के बीच मास्क बेच रहा हैं, मैंने इसके बारे जब जाना तो दिल रो पड़ा गुल्लाबीर कालोनी में रहने वाला अर्जुन हौसलो से हारा नही हैं बल्कि कंधे पर मास्क टांगे लकड़ी का बोझ लेकर निकल पड़ा, इस मासूम लड़के की 3 बहने और 1 भाई हैं, भाई भी रिक्शा चलाता हैं, पिता बस ड्राइवर हुआ करते थे लॉकडाउन के बाद उनका काम भी छिन गया, घर मे खाने पीने की परेशानी की वजह से मास्क बेचकर खाने पीने का इंतज़ाम करता हैं।

ऐसे तमाम अर्जुन और तमाम लोग आपको सड़कों पर खुद्दारी के साथ घर चलाने व पेट भरने के लिए खोंचा लगाते नज़र आ जाते होंगे, बसों के पीछे हाथ मे टोकरी लिए भागते नज़र आ जायेंगे, किसी सड़क किनारे पतली सी रस्सी पे चलते नज़र आ जायेंगे, ऐसे खुद्दार लोगो को नज़र अंदाज मत करिये बेवजह इनसे कुछ ले लीजिए, यह चाहते तो सड़को पर भीक भी मांग सकते थे पर इनकी खुद्दारी और ज़मीर ने इन्हें ऐसा करने से रोक दिया, ऐसे जज़्बों को सलाम करता हूं।
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