शिक्षक की मौत पर पसरा सन्नाटा
गोंडा। तदर्थशिक्षकों का बेमौत मरने का सिलसिला शुरू, सरकार की नीति से तदर्थशिक्षक उत्तर प्रदेश अवसाद में पहुँच गये हैं हृदयाघात, तनाव जैसी विषमताओं का सामना करते हुए जीवन का उत्सर्ग करने पर मजबूर कर दिये गए तदर्थशिक्षक, हिन्दुत्ववादी सरकार ने ले ली तदर्थशिक्षक की जान, लगभग 2200तदर्थशिक्षक बेमौत मरने पर मजबूर,10-15से कार्यरत तदर्थशिक्षकों का उम्र के अन्तिम समय में सरकार से मिले आश्वासन से मुकरने पर हृदयाघात होना स्वाभाविक, सरकार चाहे तो अबभी नियमित कर मौत के इस क्रम को रोक सकती है,यदि सरकार ने तदर्थशिक्षकों के प्रति उदासीनता दिखाई तो हजारों की संख्या में तदर्थशिक्षकों की मौतें निश्चित हैं अब भी समय है सरकार उदारता का परिचय देकर भारी संख्या में मौतों को रोक.सकती है प्रिय साथी पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह प्रवक्ता जनता इण्टर कालेज अमदही गोण्डा की असामयिक मृत्यु से सभी तदर्थशिक्षकों को भारी आघात लगा.है सभी अवसादग्रस्त होते जा रहे हैं सरकार नियमित कर इन सभी को बचाले वरन् सब काल के गाल में असमय समा जायेंगे
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