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ब्रज प्रांत 65 में से 57 सीटे योगी जी को देने के बाद भी विकास कार्यों को तरस रहा हैं : ठा संजीव कुमार सिंह

ब्रज प्रांत 65 में से 57 सीटे योगी जी को देने के बाद भी विकास कार्यों को तरस रहा हैं : ठा संजीव कुमार सिंह






आगरा, संजय साग़र। उत्तर प्रदेश में बसे ब्रज क्षेत्र को ब्रज प्रदेश के रूप में भी जाना जाता है। जैसा कि आप जानते हैं। ब्रज क्षेत्र भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के साथ ही साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में ब्रज ने भाजपा का भरपूर साथ दिया। इसी लिए ब्रज प्रांत की कुल 65 सीटों में से 57 पर भाजपा का कब्जा है। वहीं, इसके बाद भी ब्रज विकास कार्यों को तरस रहा हैं।

इस संदर्भ में राष्ट्रीय नेता, इंडियन नेशनल कांग्रेस एआईसीसी पर्यवेक्षक प्रभारी, बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, सदस्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स सचिव, कांग्रेस किसान एवं औद्योगिक प्रकोष्ठ, कानूनी सलाहकार सदस्य, चुनाव प्रचार समिति बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और आसाम एवं लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार ठाकुर संजीव कुमार सिंह ने कहा कि द्वापुर युग में भगवान श्रीकृष्णा ने अपने बचपन के दिन इस ब्रज में बिताये थे, जिस कारण यहां की मिट्टी को बेहद ही पावन माना जाता है। भले ही, ब्रज की जमीन एक राजनीतिक रूप से परिभाषित क्षेत्र नहीं है, फिर भी यह उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण अंग है। भगवान श्री कृष्ण और महाभारत से सम्बंधित ब्रज की भूमि हिंदुयों के लिए खासा महत्व रखती है। भारतीय पर्यटन उद्योग के स्वर्ण त्रिभुज में में स्थित, ब्रज भूमि पर्यटकों और श्रधालुयों के बीच लोकप्रिय जगहों में से एक है। कई मंदिरों, प्राचीन इमारतों, धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक स्थानों के साथ,यह उत्तर भारत के सबसे सम्रद्ध भागों में से एक है। मथुरा में पर्यटकों के देखने के लिए कई भ्रमण स्थल है, जिनमे वृंदावन, केशव देव मंदिर, श्री कृष्ण जन्मभूमि और बांके बिहारी मंदिर शामिल है। वर्तमान में ब्रजभूमि के कुछ शहर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में शुमार हैं। मथुरा ब्रज प्रदेश की मुख्य राजधानी भी कहा जाता है। यह भगवान कृष्ण को समर्पित और संबंधित कई मंदिरों और स्थान है, जिनकी मौजूदगी के कारण मथुरा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। भगवान कृष्ण के जन्मस्थान होने के नाते, मथुरा को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है और इसलिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक और हिंदू भक्त मथुरा भगवान श्रीकृष्ण जन्भूमि और अन्य जगहों की यात्रा करते हैं। जनता से इतना वोट मिलने के बाद भी ब्रज विकास को तरस रहा हैं। केंद्र और यूपी में मोदी योगी सरकार होने के बाद भी गन्दगीं,साफसफाई,गड्डा युक्त सड़के,खरा पानी,10 घंटे बिजली,जल भराव जैसे समस्याओं से आमजन मानस जूझ रहा हैं। जबकि जिला मथुरा में 3 कैविनेट मंत्री, 1 सांसद, 5 विधायक, भाजपा मेयर, पार्षद एवं नगर पालिका में भी भाजपा के ही लोग हैं।

अब बात करते हैं ताजनगरी की, आगरा भगवान कृष्ण के जमाने में यह एक अलग ही जगह थी, जिसे अग्रवन के नाम से जाना जाता था। जिसका अर्थ है जंगल की सीमा, और आप हिंदू महाकाव्य महाभारत में कई आग्रवानों का उल्लेख देख सकते हैं। इसलिए आगरा के बिना ब्रज का क्षेत्र अधूरा का गठन मुगलों द्वारा किया गया था और अकबर के जमाने में यह मुगलों की राजधानी हुआ करती थी। आज आगरा दुनिया के नक्शे पर ताजमहल के चलते जाना जाता है, इसके अलावा यहां पर्यटकों के देखने के लिए आगरा किला और फतेहपुर सीकरी सहित कई विश्व विरासत स्थल है। इन विश्व-प्रसिद्ध स्थलों के अलावा, आप अकबर के मकबरे और जामा मस्जिद में भी जा सकते हैं। इस सब के बाबजूद विश्व प्रसिद्ध ताज नागरी में बीजेपी के 2 सांसद 9 विधायक ,100 पार्षद, केबिनेट मंत्री, 30 साल से मेयर व केन्द्र व प्रदेश में सरकार बीजेपी की सरकार हैं। फिर भी बैराज, स्मार्टसिटी,खंडपीठ,अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, विकाश तो कहीं नहीं दिखा। फिर भी यहां चहुंओर जल भराव व बदहाली का मंजर हैं। ये चाहते तो विकास की गंगा बहा सकते थे। पर चुनाव फिर आगया लेकिन व्यवस्था अभी भी वेंटिलेशन पर हैं। आगरा ने भाजपा को 9 विधायक,2 सांसद,1 केन्द्र सरकार मे मन्त्री,2 प्रदेश सरकार मे मन्त्री,1जिला पंचायत अध्यक्ष, 1महापौर दिया है अब आगरा की जनता से और क्या उम्मीद शेष है? अब तो केवल प्रियंका गांधी आना शेष है।

वहीं, ब्रज के लोगों का कहना हैं कि अब सोचने का नहीं, कुछ कर गुजरने का समय है। बहुत हुआ सांसदों - विधायकों का सम्मान। अब इन्हें सार्वजनिक रूप से जनता के बीच लेकर सवाल-जवाब का समय है। इन सभी 9 +2 = 11 को घेरकर इनसे जबरन इस्तीफा लिखाने का समय आ गया है। इनके खिलाफ जन आंदोलन हो और इनका सामाजिक बहिष्कार कर इन्हें आगरा छोड़कर भागने को मजबूर किया जाए। सांसदी और विधायकी किसी की भी बपौती नहीं , वल्कि ज़िम्मेदारी है जो जनता सौंपती है और उसको निभाने में ये जनप्रतिनिधि नाकाम ही नजर आए। अब सोचिये मत । एक कार्य योजना बनाकर इन्हें साँसद / विधायक से एक आम आदमी बनाने की रूपरेखा तैयार करनी होगी। हमें आपसी मतभेद भुलाकर ये नेक काम तुरन्त अमल में लाना होगा। 2 सासंद 9 विधायक 1 नगर निगम महापौर 1 जिला पंचायत अध्यक्ष 100 पार्षद  आगरा नगर निगम 21 टाऊन ऐरिया चैयरमैन 16 ब्लाक अध्यक्ष फिर भी आगरा महानगर,आगरा जिले,तहसीलो, ब्लाको की जनता बेहाल हैं। हर रोज सफाई के नाम पर लाखो रूपये बर्बाद किये जा रहा है। अधिकारियो की सरपरस्ती मे अधिकारियो पडे भारी सांसदो विधायको पर अधिकारियो की निरंकुशता एंव हठ धर्मिता के चलते महानगर सहित हर संभावित जगहो के नागरिको के नही मिल पा रहा है। आगरा स्मार्ट सिटी के नाम पर मजाक बना हुआ हैं। सांसदो विधायको को सत्ता की मदहोश नींद से जागने की फुर्सत नही हैं। व्यापारियो के प्रतिष्ठानो के उदघाटन मे फीते काटने की,जनहित हुआ नदारद सत्ताधारी नेताओ के मन मस्तिक से जनता प्रसासन के नही राम भरोसे हैं। हमारे आगरा को सिर्फ लूटा गया हमें वोट बैक समझा गया। आज हमारी यमुुना मां दम तोड़ रही है। शहर की शान ताजमहल झुकता जा रहा है। कारखाने पलायन कर रहें हैं। पर्यटन उद्योग भी दम तोड़ चुका है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जेबर को दे दिया, बैराज भी नहीं बना ,हाईकोर्ट की खंडपीठ नही मिली उसके वाबजूद हम पिछले 30 वर्षों से एक ही राजनैतिक दल के प्रतिनिधियों को चुनते आ रहे है। अगर इन जनप्रतिनिधियों को हमारे शहर से प्यार होता तो यह सार्वजनिक रूप से अपने पदों से त्यागपत्र दे देते पर यह सत्ता के लालचियों को कुर्सी ज्यादा प्यारी है शहर नहीं। आज इन नेताओं की पार्टियों की गुलामी ने ही हमें याचक व भिखारी बना रखा है?

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