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नजीबाबाद (बिजनौर)कोरोना इफैक्ट: लॉकडाउन के ढाई माह व्यापार ठप, अनलॉक के एक माह में ग्राहकी कम, परेशान व्यापारी बोले- सरकार दे राहत पैके

नजीबाबाद (बिजनौर)

कोरोना इफैक्ट:  लॉकडाउन के ढाई माह व्यापार ठप, अनलॉक के एक माह में ग्राहकी कम, परेशान व्यापारी बोले- सरकार दे राहत पैकेज

साकिब ज़ैदी










बिजनेस ठप होने से व्यापारियों के सामने मौजूदा हालात में भी कई चुनौतियां, स्टाफ का वेतन तक नहीं दे पा रहे। बाजार को चाहिए राहत, व्यापारी ने कहा- व्यापारियों की परेशानियों को समझे सरकार, ताकि उभर सके व्यापार।
शहर में अनलॉक-1 को हुए एक माह से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन लॉकडाउन की मार से ठप हुआ व्यापार अभी तक गति नहीं पकड़ सका है। लॉकडाउन में दो से ढाई माह तक शहर के बाजार बिल्कुल बंद रहे थे। इनमें न तो ग्राहकी थी और न ही कोई व्यापार। इन ढाई माह की मार से नजीबाबाद शहर के व्यापारी अभी भी उभर नहीं पाए हैं।

लॉकडाउन की वजह से ऐसी कई वित्तीय, प्रशासनिक व राज्य स्तर की समस्याएं पैदा हो गईं, जिनसे व्यापारी आज भी जूझ रहा है। नजीबाबाद के व्यापारियों का मनाना है कि व्यापार को चलाने के लिए राज्य सरकार को एक विशेष राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए अथवा व्यापारियों के लिए कुछ विशेष रियायतें देनी चाहिए, ताकि लॉकडाउन की वजह से हुई परेशानियों से व्यापारी वर्ग निजात पा सके।
*दुकानें बंद रहीं, लेकिन किराया शुरू*
शहर के मुख्य बाजारों में छोटे-बड़े शोरूम और दुकानें हैं और जिनका किराया प्रतिमाह 30 हजार से 1 लाख रुपए तक है। ये बाजार 25 मार्च से 1 जून तक पूर्ण रूप से बंद थे। इन दिनों का किराया उन्हें भरना पड़ रहा है। इस दौरान न तो ये दुकानें खुलीं और न ही इनमें व्यापार हुआ। ऐसे में व्यापारी पर 1 से 5 लाख रुपए का किराया चढ़ गया, जो चुकाना भारी पड़ रहा है।

*स्टाफ का वेतन भी नहीं निकल रहा*
शहर में 10 हजार से ज्यादा दुकानें हैं। इनमें 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इनका प्रति व्यक्ति वेतन 12 हजार प्रतिमाह है। लॉकडाउन के दौरान अधिकांश कर्मचारियों को पहले माह का तो पूरा भुगतान कर दिया गया था। इसके अलावा भी कई कर्मचारियों को दूसरे माह भी पूरा तथा कहीं अाधा भुगतान किया। अब बाजार खुले, लेकिन ग्राहकी नहीं है, ऐसे में स्टाफ को भुगतान करना भारी पड़।

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