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कर्नलगंज स्थित सरयू नदी पर कई दशक पूर्व बना कटरा घाट पुल अनदेखी का शिकार

कर्नलगंज स्थित सरयू नदी पर कई दशक पूर्व बना कटरा घाट पुल अनदेखी का शिकार
जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में, नहीं पड़ रही नजर और शायद हो रहा किसी बड़े हादसे का इंतजार

कर्नलगंज, गोण्डा। जिम्मेदार आला अधिकारियों की लापरवाही, उदासीनता एवं जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते बदहाली का शिकार कर्नलगंज स्थित सरयू नदी पर बना कटराघाट पुल पर बनी रेलिंग क्षतिग्रस्त होकर हादसे को दावत दे रही है। मालूम हो कि अभी कुछ महीनों पूर्व ही गोंडा- लखनऊ राजमार्ग पर सरयू नदी पर बने कटराघाट पुल पर पुल के अप्रोच में दरार आ जाने की वजह से महीनों तक चार पहिया वाहनों का आवागमन बाधित रहा, इस दौरान लोगों को लखनऊ आने जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वहीं बड़ी जद्दोजहद व मशक्कत के बाद पुल के अप्रोच का मरम्मत कार्य किसी तरह शुरू हुआ और करीब एक महीने बाद आवागमन पुनः बहाल हो सका था। बताते चलें वर्तमान समय में पुल पर बनी रेलिंग एक बार फिर क्षतिग्रस्त हो गई है, जिसके चलते किसी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता। ज्ञातव्य है कि इसी सरयू पुल से होकर जिला मुख्यालय से जिम्मेदार अधिकारियों का अक्सर आवागमन भी होता रहता है और प्रायः जनप्रतिनिधियों के वाहन भी गुजरते हैं, पर शायद इस पर किसी की नज़र नहीं पड़ रही है या किसी अनहोनी का इंतजार किया जा रहा है। जबकि इसी सरयू पुल से कूदकर खुदकुशी करने की अब तक कई घटनाएं भी घटित हो चुकी हैं। ऐसे में पुल की क्षतिग्रस्त रेलिंग इस प्रकार की दुर्घटनाओं को बढ़ावा देने में भी सहायक साबित हो सकती है। ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से अभी कुछ महीनों पूर्व अधिकारियों द्वारा इस पुल पर संबंधित विभाग से जाली लगवाने को लेकर पत्र लिखे जाने की बात भी कही गयी थी लेकिन बात आयी गयी हो गयी और मामला टांय टांय फिस्स हो गया। वहीं कई दशक पूर्व बना यह पुल अब काफी जर्जर हो चुका है और यदि समय रहते जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान दे दिया जाये और इसी के समानान्तर एक नये पुल का निर्माण करवा कर दिया जाये तो निकट भविष्य में जिले से प्रदेश मुख्यालय जाने वाले मार्ग पर आवागमन बाधित होने जैसी विकराल समस्या से बचा जा सकता है। लेकिन शायद किसी जिम्मेदार द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ईश्वर ना करे यदि किसी दिन जब यह पुल क्षतिग्रस्त हो जाता है तो लखनऊ जाने की राह बहुत ही कठिन हो जायेगी। ऐसे में अब देखना यह है जिम्मेदारों की कुंभकर्णी नींद कब टूटती है इस पुल पर उनकी नजर कब पड़ती है?

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