जिला बहराइच के बलहा ब्लाक के अंतर्गत गुलहरिया जगतापुर ग्राम सभा के मजरा जगतापुर गांव के पास सरजू नाले पर आधे पक्के पुल का निर्माण कई वर्षों पहले हुआ था ।तब से आज तक पूरे पुल का निर्माण नहीं हो पाया है
।ग्रामीणों के द्वारा बांस व लकड़ी की सहायता से नाले पर पतला पुल बनाया गया है जिस पर से मां मशक्कत डरते हुए लोग अपनी जान जोखिम में डालते हुए क्रास कर रहे हैं। लकड़ी के उस जर्जर पुल को देखकर आपके रूह कांप उठेंगे ।कि छोटे बड़े बुजुर्ग स्त्री पुरुष बच्चे आज भी अपनी जान की परवाह किए बिना बेबस होकर उस जर्जर लकड़ी के पुल से होकर गुजर रहे हैं ।आज गांव के सैकड़ों लोगों ने पुल पर खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनका कहना था। इस पुल के रास्ते पर होकर लगभग 25000 आबादी से अधिक लोग जो लगभग 15 ग्राम सभा के अंतर्गत से लोग लकड़ी के जर्जर पुल पर होकर लखीमपुर को जोड़ने वाली इंटरनेशनल हाईवे गूढ़ चौराहा के पास निकलते हैं। उस पर महज चंद्र किलोमीटर की दूरी तय करने पर लखीमपुर जाने के लिए हाईवे प्राप्त होता है। ग्रामीणों के द्वारा बताया गया कि इसकी शिकायत विगत कई वर्षों से नेताओं और अधिकारियों से निरंतर करते आ रहे हैं। लेकिन हमारी समस्या का समाधान अभी तक ना कोई नेता ना कोई अधिकारी की है ।सिर्फ आश्वासन देकर जनता को उल्लू बना कर अपना काम बना कर वहां से चले जाते हैं ।ग्रामीणों के द्वारा बताया गया की मोटरसाइकिल निकालते समय अक्सर पुल पर दुर्घटना होता है ।मोटरसाइकिल नीचे पानी में आए दिन गिर जाती हैं। जिसमें कई लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं ।यह घटना कोई आम बात नहीं है ।लगभग- लगभग प्रतिदिन ऐसी घटनाएं होने के बाद भी शासन प्रशासन नेताओं के कान में जूं नहीं रेंग रहा है ।इससे यह प्रतीत होता है कि क्या नेताओं को अपने जेब से उसका निर्माण कराना है ।वह अपने उच्च नेताओं को उस पुल के बारे में अवगत कराएं उसका बजट पास करा कर जल्द से जल्द अगर पुल का निर्माण नहीं किया गया ,तो ग्रामीण वासी विवश होकर भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे ।और तब तक उनका अनशन चलता रहेगा। जब तक पुल का निर्माण नहीं किया जाता ऐसा ग्रामीणों के द्वारा अवगत कराया गया है आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि महिलाएं बच्चे व बुजुर्ग कैसे डर -डर कर अपनी जान हथेली पर रखकर बने लकड़ी के जर्जर पुल को पार कर रहे हैं अब देखना यह होगा यह खबर प्रकाशित होने के बाद भी क्या शासन-प्रशासन नेताओं की नींद खुलती है ।यह ज्यों का त्यों सोते रहेंगे।
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